क्या आप फ्री रेडिकल्स एवं एन्टी आक्सीडेंट के विज्ञान से सहमत है? – ऐसा है तो आगे पढ़ेः

जल ही जीवन है।

आपके शरीर के स्वास्थ्य सक्षमताओं एवं दीर्घायू के विषय में अत्यधिक महत्वपूर्ण है जल। जल के बारे में कुछ तकनीकी ज्ञान आपको स्वास्थ्य की सुरक्षा के आपके कार्यक्रम में बहुत उपयोगी होगा।
हाइड्रोजन तथा आक्सीजन के मेल से पानी बनता है। आपके शरीर का 75% हिस्सा पानी ही है। आपके शरीर के प्रत्येक सेल के भीतर पानी है एवं सेल के बाहर जो द्रव होता है उसमें भी मुख्यतः पानी ही होता है। जब दो या दो से अधिक एमिनो एसिड आपस में पेप्टाइड बांड बना कर कोई नया प्रोटीन या एंझाइम बनाते हैं तो भी पानी की उत्पत्ति होती है। रक्त में भी अधिकांशतः पानी ही है। त्वचा के सेल्स में भी पानी ही उपस्थित है एवं इसकी कमी से त्वचा कुम्हलाई हुई दिखाई देती है। इस प्रकार की विभिन्न जानकारियां हमें सभी को होती है क्योंकि सभी अखबारों के लिए स्वास्थ्य एवं सक्षमता (Health and Fitness) बहुत आकर्षक विषय है।

हम सब इतने जागरूक भी हो चुके हैं कि प्रत्येक किचन में RO लगा रहता है। परंतु हमें यह ज्ञात नहीं होता की RO का पानी अम्लीय होता है। इसकी PH होती है 7 से कम। यह पानी हमें बहुत नुकसान भी करता है। जो पानी हमारे भीतर पहुंचना चाहिए वो 8 से 9.5 के PH वाला होना चाहिए क्यों? यह देखते है आगे की क्यों?

प्रत्येक जीव सांस लेता है। आक्सीजन फेफड़ो में रक्तकणों में मिल जाती है एवं रक्त उसे प्रत्येक सेल के भीतर पहुंचा देता है जहां ग्लूकोज के साथ क्रिया कर ये उर्जा में बदल जाती है एवं उर्जा के साथ साथ पानी भी निर्मित होता है एवं कार्बन डाइ आक्साइड भी जो कि सांस छोड़ते समय शरीर से बाहर निकल जाती है। यही आक्सीजन का कार्य हैं परंतु 2% आक्सीजन कुछ और ही कार्य करती है। साधारणतः आक्सीजन के दो परमाणु मिलकर एक अणु बनाते हैं एवं स्थिर रहते हैं परंतु षरीर में 2% आक्सीजन के अणु टूटकर परमाणुओं में बिखर जाते है तथा ये परमाणु अस्थिर अवस्था में होते हैं एवं अत्यधिक क्रियाशील होते हैं एवं शरीर में किसी भी स्थान पर जाकर ये घातक क्रियाएं करते हैं। यह 2% आक्सीजन बहुत खतरनाक होती है। इस आक्सीजन से लड़ाई करने की सक्षमता 8 से 9.5 वाले PH के पानी में होती है । इस पानी में वह अवयव होते हैं जो इस घातक आक्सीजन को निष्क्रिय कर दे। क्योंकि इस पानी में एन्टीआक्सीडेंट बहुत होते हैं।

यह घातक आक्सीजन शरीर में विभिन्न समस्याओं की सबसे प्रमुख कारक होती है। सारी बिमारियां, बुढ़ापा कमजोरियां इत्यादि। यह एक प्रमुख फ्री रेडिकल है। उसी प्रकार शरीर में उपस्थित H+ आयन भी एक प्रमुख फ्री रेडिकल है।
नदी का या ट्यूबवेल का जो पानी हमारे घर आता है वह करीब 6 एवं 7 के बीच के PH का होता है एवं RO इसे 5 एवं 6 के PH का बना देता है अर्थात् यह अम्लीय होता है। हमारे शरीर के भीतर और द्रव है वे 8 PH के होना बहुत आवश्यक होता है। रक्त का PH होता है 7.45।
भोजन के कई प्रकार अम्लीय होते है एवं कई क्षारिय। यदि हमारे भोजन में अम्लीय पदार्थों की अधिकता है तो षरीर अपने भीतर के संपूर्ण सिस्टम को क्षारिय बनाने हेतु केल्षियम एवं विभिन्न एमिनो एसिड्स को जो कि हड्डियों एवं अन्य अवयवों में स्थित है को निकाल कर अपने द्रवीय सिस्टम में डाल देता है अतएव हमें अम्लीय भोजन से दूर ही रहना चाहिए। अम्लीय भोजन की लिस्ट देखिए:
षहद
मिठाईयां/चाॅकलेट पेस्ट्री इत्यादि
आइसक्रीम, श्रीखंड, कढ़ी एवं अन्य दूध की मिठाईयां
सभी प्रकार की षराब
ब्रेड, सभी प्रकार के मांसाहार, मछली, काजू बादाम इत्यादि
सभी प्रकार की तली हुई चीजें। षादीयों का सारा खाना, अत्यधिक मसालों को लेकर बनाई गई सब्जीयां। अम्लीय भोजन अर्थात उसमें H+ आयन की सघनता। चूंकि हमारे दैनिक जीवन में अनेक प्रसंग आते रहते हैं, विवाह, जन्मदिवस इत्यादि। अतः हमारे भोजन में अक्सर इतनी अधिक विभिन्नताओं से भरी हुई थाली होती है कि हमें इतना अधिक ध्यान रखना मुष्किल है कि कौन सा व्यंजन क्षारिय है एवं कौनसा अम्लीय। अतएव हमें अपना ध्यान पानी पर देना चाहिए कि हमारा पानी किस PH का है। पानी 9 PH का पी लीजिए तो जो उपरोक्त बंधन लगाए गए है (एसिडिक भोजन के) उन्हें आप षिथिल कर सकते है। क्या ही अच्छा हो कि जाम भी हो जाए आम भी हो जाए और षरीर की रक्षा भी हो जाए। जाम में जब पानी मिलाएं 9-9.5 PH का फिर देखिये। पी भी ली और सुबह एकदम फ्रेष।

9 एवं 9.5 PH के पानी का सर्वोत्तम उपयोग है षरीर को वृद्धावस्था से दूर रखने में। आवष्यक यह है कि जो सेल अपनी आयु पूर्ण कर रहा है क्या वह नया सेल बना रहा है या फिर स्वतः ही समाप्त हो जाने वाला है। यदि वह समाप्त हो रहा है तो फिर यह षरीर के बूढे होने की निषानी है। यदि हम सेल को नया जीवन दिलवा दें तो ? इसके लिए आवष्यक है कि 9 या 9.5 PH का पानी हम पीएं एवं साथ में पौश्टिक भोजन ही करें नियमित। इन दोनों के कारण आपका सेल नयी आयु प्राप्त कर लेगा एवं वही एन्टीएजिंग है। आप युथ ही बने रहेंगे तो आपकी कार्यक्षमता भी वही बनी रहेगी एवं दीर्घायू तो आप रहेंगे ही।
अतः यह पानी पीजिए।
हम यही पीते है। वैसे इस PH के मसले पर और अधिक गौर करने की आवष्यकता है क्योंकि इसकी सही सही समझ हो तो क्यों यह विशय इतना महत्वपूर्ण है यह हम समझ पायेंगे। रसायन विज्ञान की भाशा में कहा जाए तो कोई भी द्रव या द्रवीय घोल अम्लीय होगा या क्षारिय होगा। परंतु अम्लीय क्या एवं क्षारिय क्या! सबसे मूलभूत द्रव यदि है तो वह है पानी। पानी को रसायन विज्ञान में आक्सीजन एवं हाइड्रोजन परमाणुओं के मिलन से बना हुआ यौगिक कहते है। पानी के एक अणु में आक्सीजन का एक परमाणु एवं हाइड्रोजन के दो परमाणु होते है। चूंकि आक्सजीन के परमाणु के बाहरी कक्ष में 6 इलेक्ट्रान होते हैं एवं चूंकि किसी भी परमाणु के बाहरी कक्ष में 8 इलेक्ट्रान हो जाएं तो वह स्थिरावस्था प्राप्त कर लेता है तो आक्सीजन का परमाणु भी यह प्रयास करता है कि उसे दो इलेक्ट्रान प्राप्त हो जाएं तो हाइड्रोजन का परमाणु अपना एकमात्र इलेक्ट्रान आक्सीजन को देता है एवं एक और हाइड्रोजन का परमाणु भी अपना इलेक्ट्रान आक्सीजन को देता है तो ये तीनों परमाणु मिलकर एक स्थिर H2O अणु बनाते है एवं ऐसे करोड़ो अणु H2O के इकट्ठे हों तो हम इन्हें पानी के रूप में द्रवीय अवस्था में देखते हैं। इस पृथ्वी पर ऐसी परिस्थितियां रहती आई हैं कि पानी का अणु बन सके। अतः पृथ्वी पर हंमेषा पानी उपलब्ध रहता है एवं यही जीवन का मूल आधार है। इसी पानी में यह रहस्य छिपा हुआ है जिसे अम्लीयता एवं क्षारियता कहते हैं रसायन विज्ञान में। तो जब पानी के अणु इस प्रकार विभाजित कर दिया जाए कि उसके दो भाग हों- H एवं दूसरा OH के रूप में। वह भी इस प्रकार कि जो भाग H है उसका इलेक्ट्रान रह जाए OH के भाग के पास तो फिर ये इंगित किए जाते है H+ एवं OH-. के रूप में अर्थात् जो H है वह चंूकि इलेक्ट्रान विरहित है तो वह धनात्मक यानि H+ एवं OH-. के पास चूंकि वह इलेक्ट्रान एक अतिरिक्त आ जाता है तो H+ हो गया ऋणात्मक अर्थात् OH-.
तो जब पानी जो हमें उपलब्ध है जिसे हम सभी प्रकार से उपयोग कर रहे है (पीने में भी) उसमें H+ (धनात्मक आयन) एवं OH-. (ऋणात्मक आयन) उपस्थित है एवं क्या ये कम या अधिक मात्रा में उपस्थित है यही मापने अथवा समझने की विधि को PH कहा जाता है (अर्थात Potential of Hydrogen)
जब पानी में H+ एवं OH-. आयन एक समान अनुपात में हो तो वह उदासीन ;(Neutral) कहलाता है यदि H+ आयनों की संख्या अधिक हो तो वह अम्लीय एवं OH- आयनों की संख्या अधिक हो तो क्षारिय।
जब पानी उदासीन है तो उसका PH है 7 जब पानी अम्लीय है तो उसका PH 7 से कम होता है, जब पानी क्षारिय हो तो उसका PH सात से अधिक होता है।
किसी अन्य द्रव में जिसमें पानी विद्यमान है उसमें भी इन आयनों की उपस्थिति के अनुसार उस द्रव का PH होगा जैसे की रक्त का PH होता है 7.35 से 7.45 तक अर्थात् यह क्षारिय होता है एवं इसलिये अधिक PH के पानी को पीना हमारे षरीर के लिए बहुत महत्वपूर्ण है एवं हमें षारीरिक समस्याओं से बचाता है।
जब हम पानी 6 PH का पी रहे है इसका अर्थ यही है कि हमारे षरीर में हम भ़् आयन अधिक भेज रहे हैं। जब हम उपरोक्त वर्णित खाना खा रहे हैं (acidic)
तो भी वह H+ बढ़ा रहा है इस प्रकार हम लगातार अपने षरीर को H+ की अधिक सघनता प्रदान कर रहे हैं। जोकि षरीर को विभिन्न बीमारियों की ओर अग्रसर करता है। जब हम अपना भोजन बदल नहीं सकते (क्योंकि वही तो स्वादिश्ट है) तो पानी पीनें पर तो ध्यान दे दिया जाए।
आज से 15-20 वर्शों पहले से यह चलन आरंभ हुआ की RO लगाया जाए क्योंकि प्राकृतिक पानी (नदी से या ट्युबवेल) के लिए यह समझा गया की इसमें TDS बहुत अधिक है (खनिजों के अणु) एवं मुख्यतः यह जताया गया की इस TDS में बहुत अधिक मात्रा में फ्लोराईड्स है जो कि दांतों को एवं हड्डीयों को गला देते हैं। इसके पष्चात् तो RO घर घर में लगने लगे। पानी में TDS कम हो गया अतः फ्लोराईड्स भी कम हो गए। जब आप इस पानी की PH नापेंगे तब चिन्ता होगी क्योंकि यह 7 से कम होगा। अतः ध्यान दीजिए की पानी 8-9 PH का पीना है।

इस PH के मसले पर और अधिक गौर करें। जब यह कहते हैं कि पानी का PH है 7 तो एक लिटर पानी के लिए यह समीकरण बनेगाः
PH = log10[H+]
जब PH है 7 तो = log10[H+]
अर्थात् H+ = 10^-7 मोल
अर्थात् H+ = 10^-7 x 6.023 x 1023
H+ = 6.023 x 1016

अर्थात् यदि एक लीटर पानी का PH यदि 7 है तो इसका अर्थ है कि इसमंे 6.023 x 10^16 आयन हैं H+ के। चूंकि पानी में H+ आयन होते हैं एवं OH- आयन भी होते है एवं पानी के लिए [H+] एवं [OH-], का गुणनफल है 10^-14.

हम यह समझ सकते हैं कि 6 PH के पानी को एक लीटर की मात्रा में पीया जाए तो H+ कितने अधिक हमारे शरीर में पहुंचेंगे। इसे ही यह कहा जाएगा की शरीर में अम्लीयता कितनी बढ़ गई है।
अब हमें यह अच्छी तरह प्रकार से समझ आ सकता है कि जब हम RO का एक लीटर पानी पीते हैं जो कि 5 या 6 पीएच का होगा तो हम शरीर में कितनी अधिक अम्लीयता बढ़ाते हैं जो कि सभी प्रकार के रोगों की उत्पत्ति का सबसे प्रमुख कारण है।
अतः दीर्घायु एवं पूर्णतः स्वस्थ रहने के लिए हमें आवश्यक है कि 9 से 9.5 PH का पानी सदैव पीते रहें।
अपनी पुस्तक The Seven Pillars of health में डाॅ. डान कोलबर्ट कहते हैं कि आपके शरीर में जब अल्केलाईन स्थिति रहती है तो आपके शरीर के सभी अवयव स्वयं में उत्पन्न हुई खराबियों को तेजी से ठीक कर पाते है। जब भी कोई गंभीर बीमारी से ग्रस्त व्यक्ति मेरे पास आया है उसके शरीर को मैंने हंमेशा ही बहुत ही अम्लीय एवं विषैले पदार्थो से भरा हुआ ही पाया है। मेरा पहला कार्य उसे आयोनाइज्ड़ अल्केलाइन पानी लगातार पिलाते रहना ही होता है।
कभी भी आप किसी शिशु को गोद में लेवें एवं उसकी खुश्बु लेवें। हंमेशा आपको प्यारी सी मिलेगी क्योंकि शिशुओं का शरीर अल्केलाईन होता है। यह तो वह बड़ा होता जाता है एवं शरीर में अम्लीयता एवं दुषित विषैले पदार्थ बदले जाते है।

अपने शरीर में OH- आयन की अधिकता बढ़ाऐं एवं जांच करवाईये की आपके रक्त का PH 7.45 है कि नहीं। यदि है तो बहुत ही खुशी की बात है एवं नहीं तो उपरोक्त वर्णित 9 PH के पानी के सिस्टम पर ध्यान देवें तथा जीवन भर इस पानी को ही पीजिए ताकि षरीर में OH- आयन बहुतायत में रहें एवं सभी प्रकार के फ्री रेडीकल्स नश्ट हो सकें तथा आप सभी बीमारियों से दूर रह सकें।

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